झ- मूसा अलैहिस्सलाम
फिर मिस्र में एक सरकश एवं अभिमानी बादशाह का उत्थान हुआ, जिसका नाम फ़िरऔन था। वह अपने आप को ख़ुदा कहता था, लोगों को आदेश देता था कि वह उसी की उपासना करें। वह जिसका चाहता वध कर देता और जिस पर चाहता अत्याचार करता था। अल्लाह ने उसके बारे में बताया है:
“वास्तव में, फ़िरऔन मिस्र में घमंडी हो चला था, और उसके निवासियों को कई गिरोह में बांट दिया था, उसने उनमें से एक गिरोह को कमजोर बना रखा था, उनके लड़कों का वध कर देता था और उनकी लड़कियों को जीवित रहने देता था, निश्चय ही वह उपद्रवियों में से था।
तथा हम चाहते थे कि उन पर दया करें जो धरती में निर्बल बना दिए गए थे, तथा उन्हें ज़मीन पर सरदार और उत्तराधिकारी बनाना चाहा।
तथा उन्हें शक्ति प्रदान करें, और फ़िरऔन तथा हामान और उनकी सेनाओं को इसराईल के संतान की ओर से वह दिखा दें, जिससे उनको ख़तरा था।
और हमने वह़्यी की मूसा की माता की ओर कि उसे दूध पिलाती रह और जब तुझे उस पर भय हो, तो उसे सागर में डाल दे और भय न कर और न चिन्ता कर। निःसंदेह, हम उसे तेरी ओर वापस लाएंगे और उसे रसूलों में से बनायेंगे।
तो फ़िरऔन के घर वालों ने उसे समुद्र से निकाल लिया ताकि वह उनके लिए शत्रु तथा दुःख का कारण बने। वास्तव में, फ़िरऔन तथा हामान और उन दोनों की सेनाएँ ग़लती पर थीं।
और फ़िरऔन की पत्नी ने कहा: यह लड़का मेरी और आपकी आँखों की ठंडक बनेगा, इका वध न कीजिए। संभव है हमें लाभ पहुँचाए या उसे हम पुत्र बना लें और वे समझ नहीं रहे थे।
और मूसा की माँ का दिल व्याकूल हो रहा था, समीप था कि वह उसका भेद खोल देती यदि हम उसके दिल को धैर्य न देते, ताकि वह विश्वास करने वालों में से हो जाए।
तथा (मूसा की माँ ने) उसकी बहन से कहा कि तू इस के पीछे-पीछे जा, और वह उसे दूर ही से देखती रही, और लोगों को इसका आभास तक न हुआ।
और हमने पहले से ही उस (मूसा) पर दाइयों का दूध हराम कर दिया था, तो उस (की बहन) ने कहा: क्या मैं तुम्हें ऐसा घराना न बताऊँ जो इसका तुम्हारे लिए पालन-पोषण करें तथा वे उसके शुभचिनतक हों?
तो हमने वापिस कर दिया उसे उसकी माँ की ओर, ताकि उसकी आँख ठंडी हो और वह चिन्ता न करे, और ताकि उसे विश्वास हो जाए कि अल्लाह का वचन सच है, परन्तु अधिक्तर लोग नहीं जानते हैं।
और जब वह अपनी भरपूर जवानी को पहुँचा गया, और उसका विकास मुकम्मल हो गया, तो हमने उसे बुद्धि तथा ज्ञान दिया और इसी प्रकार हम सदाचारियों को बदला देते हैं।
और एक दिन मुसा ने ऐसे समय शहर में प्रवेश किया जब वहां के लोग अचेत थे, तो वहां उन्होंने दो व्यक्तियों को लड़ते हुए पाया, एक उसके गिरोह से था और दूसरा उसके शत्रु में से। तो पुकारा उसने, जो उसके गिरोह से था, उसके विरुद्ध, जो उसके शत्रु में से था। जिसपर मूसा ने उसे घूँसा मारा और वह मर गया। मूसा ने कहा: ये शैतान का काम है, वास्तव में, वह गुमराह करने वाला खुला शत्रु है।
उसने कहा: हे मेरे पालनहार! मैंने अपने ऊपर अत्याचार कर लिया, तू मुझे क्षमा कर दे, फिर अल्लाह ने उसे क्षमा कर दिया। वास्तव में, वह क्षमाशील, अति दयावान् है।
उसने कहा: हे मेरे पालनहार! तु ने जो मुझपर कृपा और इनाम किया है, तो अब मैं कदापि अपराधियों का सहायक नहीं बनुँगा।
उसने शहर में डरे और घबराए हुए सुबह की, तो सहसा वही जिसने उससे कल सहायता माँगी थी, उसे पुकार रहा है। मूसा ने उससे कहा: वास्तव में, तू ही खुला पथभ्रष्ट है।
फिर जब उसे पकड़ना चाहा, जो उन दोनों का शत्रु था, तो उसने कहा: हे मूसा! क्या तू मुझे मार देना चाहता है, जैसे कल एक व्यक्ति को मार दिया था? तू तो चाहता है कि इस धरती में बड़ा उपद्रवी बनकर रहे और तू नहीं चाहता कि सुधार करने वालों में से हो।
और शहर के दूसरी तरफ से एक व्यक्ति दौड़ता हुआ आया। उसने कहा: हे मूसा! फिरऔन के दरबार वाले तेरे विषय में प्रामर्श कर रहे हैं ताकि तुझे क़त्ल कर दें। अतः तू यहां से निकल जा। वास्तव में, मैं तेरे शुभचिन्तकों में से हूँ।
तो वह वहां से डरा सहमा हुआ निकल गया, और यह प्रार्थना की: हे मेरे पालनहार! मुझे अत्याचारियों से बचा ले।
और जब वह जाने लगा मदयन की ओर, तो उसने कहा: मुझे आशा है कि मेरा पालनहार मुझे सीधा मार्ग दिखाएगा।
और जब वह मदयन के कुआँ पर पहुंचे, तो वहां पर लोगों की एक भीड़ पाया, जो (अपने पशुओं को) पानी पिला रही थी, तथा उसके पीछे दो स्त्रियों को (अपने पशुओं को) रोकती हुईं पाया। उसने कहा: तुम्हारी समस्या क्या है? दोनों ने कहा: हम पानी नहीं पिलातीं, जब तक चरवाहे चले न जाएँ और हमारे पिता बहुत बूढ़े हैं।
तो मुसा ने उनकी बकरियों को पानी पिला दिया, फिर छाया में जाकर बैठ गए और कहने लगे: हे मेरे पालनहार! इस समय तू,जो भी भलाई मुझपर उतारे, मैं उसका आश्रित हूँ।
तो उसके पास दोनों में से एक स्त्री लजाती हुई चलकर आई, उसने कहा: मेरे पिता आपको बुला रहे हैं, ताकि आपने जो हमारी बकरियों को पानी पिलाया है, आपको उसका पारिश्रमिक दे। फिर जब (मूसा) उसके पास पहुँचे और उसे पूरी कहानी सुनाई, तो उसने कहा: भय न कर, तू अत्याचारी लोगों से मुक्ति पा गया है।
उन दोनों में से एक लड़की ने कहा: हे पिता! आप इन्हें सेवक रख लें। इस लिए जिन्हें आप सेवक रखेंगे, उनमें सबसे उत्तम ताक़तवर और विश्वसनीय है।
बाप ने कहा: मैं चाहता हूँ कि मैं अपनी इन दो पुत्रियों में से एक के साथ तुम्हारा विवाह कर दूँ, इस के बदले कि तुम आठ वर्ष मेरी सेवा करोगे, फिर यदि तुम दस (वर्ष) पूरा कर दो, तो यह तुम्हारी इच्छा है। मैं तुमपर बोझ डालना नहीं चाहता हूँ, और यदि अल्लाह ने चाहा तो तुम मुझे सदाचारियों में से पाओगे।
मूसा ने कहा: यह मेरे और आपके बीच (निश्चित) है। मैं दो में से जो भी अवधि पूरी कर दूँ, मुझपर कोई अत्याचार न हो और हम जो कुछ कह रहे हैं उस पर अल्लाह निरीक्षक है।
फिर जब मूसा ने अवधि पूरी कर ली और अपने परिवार के साथ चल पड़े, तो उन्हें तूर (पर्वत) की ओर एक अग्नि देखी, उन्होंने अपने परिवार से कहा: रुको मैंने एक अग्नि देखी है, संभव है कि मैं वहाँ से तुम्हारे पास कोई शुभ समाचार लेकर आऊँ अथवा अग्नि का कोई अंगार, ताकि तुम ताप लो।
फिर जब वह वहाँ आये, तो वादी के दाएँ किनारे से, शुभ क्षेत्र में (स्थित एक) वृक्ष से उन्हें पुकारा गया: हे मूसा! निःसंदेह, मैं ही अल्लाह हूँ, सम्पूर्ण संसार का पालनहार।
और अपनी लाठी को फेंक दीजिए, फिर जब उसे देखा कि रेंग रही है, मानो वह कोई साँप हो, तो भागने लगे पीठ फेर कर और पीछे मुड़ कर नहीं देखा, तो पुकारा गया, हे मूसा! आगे आएं तथा भय न कीजिए, वास्तव में, आप सुरक्षित हैं।
अपना हाथ अपनी जेब में डालें, वह उज्ज्वल होकर निकलेगा बिना किसी रोग के. और जब डर लगे तो अपना बाजू अपने शरीर से मिला लें। यह आप के पालनहार की ओर से फ़िरऔन तथा उसके प्रमुखों के लिए दो खुली निशानियाँ हैं। वास्तव में, वह उल्लंघनकारी जाति हैं।
मुसा ने कहा: मेरे पालनहार! मैंने उनके एक व्यक्ति को क़त्ल कर दिया था, इस लिए मैं इस बात से डरता हूँ कि वे मुझे मार देंगे।
और मेरा भाई हारून मुझसे अधिक सुभाषी है, तू उसे भी मेरे साथ सहायक बनाकर भेज दे, ताकि वह मेरा समर्थन करे। मैं डरता हूँ कि वे मुझे झुठला देंगे।
अल्लाह ने कहा: हम तुम को तुम्हारे भाई द्वारा तुम को बल प्रदान करेंगे और तुम दोनों के लिए ऐसा प्रभाव बनाएँगे कि वे तुम दोनों तक नहीं पहुँच सकेंगे, हमारी निशानियों द्वारा तुम दोनों तथा तुम्हारे अनुयायी ही ऊपर रहेंगे।”
[सूरह अल-क़सस: 4-35]
[1] उनकी माँ ने उन्हें एक ताबूत में रख दिया और उन्हें नदी में डाल दिया।
अतः मूसा और उनके भाई अभिमानी बादशाह फ़िरऔन के पास गए, ताकि उसे केवल एक अल्लाह की इबादत करने को कहें, जो सारे संसार का रब है:
“फ़िरऔन ने कहा: विश्व का पालनहार क्या है?
(मूसा ने) कहा: आकाशों तथा धरती और उन दोनों के बीच की सभी चीज़ों का पालनहार, यदि तुम विश्वास रखने वाले हो।
फिरऔन ने अपने आस-पास के लोगों से कहा: क्या तुम सुन नहीं रहे हो?
(मूसा ने) कहा: तुम्हारा पालनहार तथा तुम्हारे पूर्वोजों का पालनहार है।
(फ़िरऔन ने) कहा: तुम्हारा यह रसूल जो तुम्हारी ओर भेजा गया है, निश्चय ही पागल है।
(मूसा ने) कहा: वह पूर्व तथा पश्चिम तथा दोनों के मध्य जो कुछ है, सबका पालनहार है यदि तुम बुद्धि रखते हो।
(फ़िरऔन ने) कहा: यदि तूने मेरे अतिरिक्त किसी और को पूज्य बनाया तो तुम्हें क़ैद में डाल दूँगा।
(मूसा ने) कहा: मैं तेरे पास (मेरी सच्चाई पर) एक स्पष्ट दलील लेकर आऊँ तब भी?
उसने कहा: यदि तू सच्चा है तो उसे पेश कर।
फिर मूसा ने अपनी लाठी फेंकी तो अकस्मात् वह एक अजगर बन गई।
और अपना हाथ निकाला तो वह देखने वालों के लिए चमक रहा था।
फिरऔन ने अपने पास बैठे प्रमुखों से कहा: वास्तव में, यह तो बड़ा दक्ष जादूगर है।
यह चाहता है कि अपने जादू की शक्ति से तुम्हें तुम्हारी धरती से निकाल दे, तो अब तुम लोग क्या प्रामश्य देते हो?
सरदारों ने कहा: आप मूसा और उसके भाई को कुछसमय दें और शहरों में अपने प्रतिनिधि को भेज दें।
वे आपके पास प्रत्येक बड़े दक्ष जादूगर को लायेंगे।
तो एक निश्चित दिन एवं निश्चित समय के लिए सभी जादूगरों को एकत्र कर लिए गया।
तथा लोगों से कहा गया कि क्या तुम सब एकत्र होने वाले हो?
ताकि हम जादूगरों की पैरवी करने लगें यदि वह विजयी हों।
और जब जादूगर आए तो फ़िरऔन से कहा: यदि हम हम जीत गए तो क्या हमें कुछ पुरस्कार मिलेगा?
फिरऔन ने कहा: हाँ! और तुम सब मेरे निकटतम लोगों में हो जाओगे।
मूसा ने उनसे कहा: पेश करो जो कुछ तुम पेश करने वाले हो।
तो उन्हों ने अपनी रस्सियाँ तथा लाठियाँ ज़मीन पर डाल दीं तथा कहा: फ़िरऔन के प्रभुत्व की शपथ! हम ही अवश्य विजयी होंगे।
अब मूसा ने (भी) अपनी लाठी ज़मीन पर डाल दी जो देखते ही देखते उनके झूठे करतबों को निगलती चली गई।
यह देख सभी जादूगर सजदा में चले गए।
और कहने लगे हम विश्व के पालनहार पर ईमान ले आए।
जो मूसा तथा हारून का पालनहार है।
(फ़िरऔन ने) कहा: तुम उसका विश्वास कर बैठे, इससे पहले कि मैं तुम्हें आज्ञा दूँ? वास्तव में, वह तुम्हारा बड़ा (गुरू) है, जिसने तुम्हें जादू सिखाया है, तो तुम्हें शीघ्र ज्ञान हो जाएगा। मैं अवश्य तुम्हारे हाथों तथा पैरों को विपरीत दिशा से काट दूँगा तथा तुम सभी को फाँसी दे दूँगा!
सबने कहा: कोई हर्ज नहीं, हमें तो अपने पालनहार की ओर ही लौट कर जाना है।
हम आशा रखते हैं कि हमारा पालनहार हमारे पापों को क्षमा कर देगा, क्योंकि हम सबसे पहले ईमान लाने वाले हैं।
और हमने मूसा की ओर वह्यी की कि मेरे बंदों को लेकर रातों-रात निकल जा क्योंकि तुम सब का पीछा किया जाएगा।
इस के बाद फ़िरऔन ने (फौज) जमा करने के लिए शहरों में लोगों को भेजा।
इस संदेश के साथ कि यह बहुत थोड़े लोग हैं।
और (इसपर भी) वे हमें अति क्रोधित कर रहे हैं।
और हम सब पूरे तौर पर सावधान और मुक़ाबला के लिए तैयार हैं।
अन्ततः, हम ने उन्हें उनके बागों, पानी के स्रोतों और मकानों से निकाल दिया।
तथा ख़जानों और उत्तम निवास स्थानों से।
इसी प्रकार हुआ और हमने इसराईल की संतान को उनका उत्तराधिकारी बना दिया।
तो वह लोग सुबह होते ही उनके निकट पहुंच गए।
और जब दोनों गिरोहों ने एक-दूसरे को देख लिया तो मूसा के साथियों ने कहा: हम तो निश्चय ही पकड़ लिए गए।
तो मूसा ने कहा: कदापि नहीं, निश्चय मेरा पालनहार मेरे साथ है, वह अवश्य मदद करेगा।
तो हमने मूसा को वह्यी की कि वह अपनी लाठी से समुद्र को मारें। अकस्मात् समुद्र दो भागों में फट गया तथा प्रत्येक भाग एक बड़े पर्वत के समान हो गया।
तथा हम दूसरे गिरोह को उसी स्थान के क़रीब ले आए।
और हम ने मूसा और उनके सभी साथियों को बचा लिया।
फिर दूसरों को डुबो दिया।
इसमें बहुत बड़ी निशानी है परन्तु अधिकतर लोग ईमान लाने वाले नहीं हैं।
तथा आपका पालनहार निश्चय अत्यंत प्रभुत्वशाली, दयावान् है।
[सूरह अश-शुअरा: 23-67]
जब फ़िरऔन डूबने लगा तो कहने लगा कि मैं इस बात पर ईमान लाता हूँ कि उस अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं है जिसपर बनी इसराईल का ईमान है। महान अल्लाह ने कहा है:
“(अल्लाह ने कहा): अब जबकि इस से पूर्व अवज्ञा करता रहा और उपद्रवियों में से था?
आज हम तेरे शव को बचा लेंगे ताकि तू उनके लिए जो तेरे पश्चात होंगे, एक (शिक्षाप्रद) निशानी बन जाए और वास्तव में, बहुत-से लोग हमारी निशानियों से अचेत रहते हैं।” [सूरह यूनुस: 91-92]
अल्लाह ने मूसा की जाति को, जिसे निर्बल समझा जाता था शाम देश के पश्चिमी छेत्रों तथा पूर्वी छेत्रों का अधिकारी बना दिया, जिसमें उसने बरकतें दी थीं। साथ ही फ़िरऔन और उसकी जाति की कलाकारियों एवं उँचे उँचे महलों को ध्वस्त कर दिया।
इसके बाद अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम पर तौरात नामी ग्रंथ उतारा, जिसमें लोगों के लिए मार्गदर्शन एवं ऐसा प्रकाश था, जो उन्हें वह रास्ता दिखाता था, जो अल्लाह को पसंद है। साथ ही उसमें हलाल एवं हराम का भी विवरण था, जिसका पालन करना मूसा की जाति बनी इसराईल पर अनिवार्य था।
फिर मूसा अलैहिस्सलाम की मृत्यु हो गई और अल्लाह ने उनके बाद उनकी जाति की ओर बहुत-से रसूलों को भेजा, जो उसे सीधा मार्ग बताते थे। एक नबी मृत्यु को प्राप्त होता तो उसके स्थान पर दूसरा नबी आ जाता।
अल्लाह ने हमें उनमें से कुछ नबियों के हालात बताए हैं जैसा कि दाऊद, सुलैमान, अय्यूब और ज़करिय्या, और बहुतों के हालात नहीं बताए हैं। फिर बनी इसराईल के इन नबियों का सिलसिला ईसा अलैहिस्सलाम पर समाप्त होता है, जिनका जीवन, जन्म से लेकर आकाश में उठाए जाने तक, चमत्कारों से भरा हुआ था।
तौरात, जिसे अल्लाह ने मूसा अलैहिस्सलाम पर उतारा था, समय बीतने के साथ ही यहूदियों के हाथों, जो खुद को मूसा अलैहिस्सलाम के अनुसरणकारी कहते हैं, छेड़छाड़ एवं परिवर्तन का शिकार हो गई। जबकि मूसा अलैहिस्सलाम का इसमें कोई दोष नहीं है। अब उनके पास जो तौरात है, वह वह तौरात नहीं रह गई जो अल्लाह की ओर से उतरी थी। उसमें यहूदियों ने ऐसी बातें दाख़िल कर दीं हैं जो अल्लाह की महानता के अनुरूप नहीं हैं। उसमें उन्होंने अल्लाह के ऐसे-ऐसे गुण बताए हैं जैसा कि अपूर्णता, अज्ञानता और दुर्बलता, जिनसे अल्लाह बिल्कुल पाक है। अल्लाह ने इन लोगों के बारे में कहा है:
“तो विनाश है उन लोगों के लिए जो अपने हाथों से पुस्तक लिख लेते हैं, फिर कहते हैं कि यह अल्लाह की ओर से है, ताकि उसके बदले कुछ माल कमा सके! तो उनका विनाश है उनके अपने हाथों से लिखने के कारण! और उनका विनाश है उनकी कमाई के कारण!”
[सूरह अल-बक़रा: 79]