प्रिय पाठक!
आपके हाथ में यह किताब आपको विस्तृत रूप से इस्लाम धर्म का परिचय देती है एवं इसके सभी पहलुओं जैसे कि आस्थाओं, शिष्टाचारों, विधि-विधानों एवं समस्त शिक्षाओं से रू-ब-रू कराती है।
मैंने इसे लिखते समय कुछ मूल बातों का ध्यान रखा है:
1- इस्लाम की उन मूल बातों पर ध्यान केंद्रित रखना जिन पर वह आधारित है।
2- जहाँ तक संभव हो, संक्षिप्त से काम लेना।
3- इस्लाम को उसके मूलभूत स्रोतों (पवित्र क़ुरआन एवं अल्लाह के अंतिम रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हदीस) के आलोक में इस तरह पेश करना कि पाठक इस्लाम, एवं उसकी शिक्षाओं व उपदेशों को सीधे उसके असल स्रोतों से प्राप्त करे।
प्रिय पाठक! किताब के अंत तक पहुँचने के बाद आपको इस बात का अनुभव होगा कि आपने इस्लाम धर्म के बारे में एक स्पष्ट दृष्टिकोण प्राप्त कर लिया है, जिसके बाद आप इसके बारे में अधिक जानकारियों की सीढ़ी चढ़ते जा सकते हैं।
यह किताब लोगों के बहुत बड़े समूह को सामने रखकर लिखी गई है। इसका लक्ष्य वह लोग हैं जो इस्लाम धर्म को ग्रहण करना एवं उसके अक़ीदों, शिष्टाचारों एवं विधि-विधानों को सीखना चाहते हैं।
इसके लक्ष्य में वह लोग भी शामिल हैं जो विभिन्न धर्मों, विशेष रूप से उन धर्मों को जानना चाहते हैं जिन्हें करोड़ों लोग मानते हैं। इसी तरह इसके लक्ष्य में इस्लाम के वह मित्र भी शामिल हैं जो उससे हमदर्दी रखते हैं और उसकी कुछ बातों से प्रभावित हैं। साथ ही इसके लक्ष्य में इस्लाम के वह शत्रु और आलोचक भी शामिल हैं जिनकी इस्लाम से अज्ञानता ही कभी-कभी उनकी इस शत्रुता एवं नफरत का मूल कारण बनती है।
इस किताब के लक्ष्य में जो लोग आते हैं, उनमें वह मुसलमान बहुत हद तक पहले हैं, जो लोगों के सामने इस्लाम धर्म की व्याख्या करना चाहता हैं। यह किताब उन लोगों का काम आसान कर देगी और उनके मिशन को सरल बना देगी।
प्रिय विवेकी पाठक! यदि आपके दिमाग़ में इस्लाम के बारे में पहले से कोई विचार नहीं है तो आप को इस किताब में मौजूद अंतर्वस्तुओं का अर्थ समझने के लिए इस को ध्यान पूर्वक एवं संजीदगी से पढ़ने की ज़रूरत है। लेकिन आप इससे परेशान न हों, आपके प्रश्नों का उत्तर देने के लिए कई इस्लाम वेबसाइट मौजूद हैं।